रायपुर (राज्य ब्यूरो)। सीजी चुनाव 2023: इस वर्ष के चुनाव महासमर में आस्था और भक्ति का रंग अपनी उच्चतम धारा पर होगा। कृष्ण जन्माष्टमी से लेकर गणेश चतुर्थी, दुर्गा नवमी, दशहरा, दीवाली तक यह समायोजन लगातार जारी रहेगा। इस वर्ष, गणेश और दुर्गा मूर्तियों की रिकॉर्ड बुकिंग की सीमा पार की गई है, जैसा कि इन आंकड़ों से स्पष्ट हो रहा है। भक्ति और आस्था के रंग के माध्यम से, राजनेता लोगों को संजीवनी और समर्थन प्राप्त करने का लक्ष्य रख रहे हैं।
चुनाव के आसपास आते ही, आरोप-प्रत्यारोप और जिंदाबाद के नारों के साथ ही, गलियों और सड़कों में भक्ति की गूंज दूर-दूर तक महसूस होगी। छत्तीसगढ़ के मूर्तिकार-चित्रकार संघ के मुताबिक, गणेश और दुर्गा प्रतिमाओं का व्यापार प्रदेशभर में प्रतिवर्ष लगभग 30 से 50 करोड़ रुपये का होता है, लेकिन इस चुनाव वर्ष में यह व्यवसाय लगभग 200 करोड़ रुपये के आस-पास जाने की संभावना है।
समितियों को जमकर मिलेगी राजनीतिक पार्टियों की फंडिंग
इस बार, जनप्रतिनिधियां भी खुलकर खर्च करने के लिए तैयार हैं, जिसके कारण समितियों को राजनीतिक पार्टियों की वित्त प्रवर्धन में भी वृद्धि की संभावना है। झांकियों में भी अधिक महत्त्वपूर्णता का अनुभव होगा। राजनीतिक पार्टियां खूबसुरती से समझती हैं कि आस्था और भावनाओं को जोड़कर वे लोगों के दिलों में स्थान बना सकती हैं, इसलिए पंडालों के आस-पास इस बार अधिक से अधिक मंच तैयार किए जाएंगे।
इस स्थान पर जनप्रतिनिधियों का आना-जाना सबसे चर्चित रहेगा। शहर में कई जगहों पर तैय की जा रही है, जहां पहली बार चुनाव वर्ष में मूर्तियों की स्थापना होगी। गणेश चतुर्थी के 11 दिन और दुर्गा नवमी के 9 दिनों तक भक्ति का महौल अपनी यादगारता के साथ होगा। मूर्तियों की स्थापना से लेकर उनके विसर्जन तक, प्रदेश भर में बड़ी तैयारियाँ देखी जाएंगी।
मूर्तियों में दिखेगा छत्तीसगढ़ियां रंग
पंडालों में मूर्तियों का निर्माण उस प्रकार से हो रहा है, जिससे लग सकता है कि गणेश और दुर्गा प्रतिमाओं का रंग छत्तीसगढ़ की धरती के रंगों में मिलाकर बन रहा है। समितियों ने एक थीम के अनुसार प्रतिमाएं तैयार की हैं, जिसमें किसान के रूप में गणेश जी को और छत्तीसगढ़ की महातारी के स्वरूप में मां दुर्गा को उकेरने का प्रस्ताव भी है। मूर्तिकारों ने भी इस निर्देश के अनुसार मूर्तियों का रूप देने का काम शुरू कर दिया है। इस बार, झांकियों में खेत, खलिहान, तीज-त्योहार, और छत्तीसगढ़ी कला और संस्कृति की झलक भी देखने को मिलेगी। इसरो के चंद्रयान और आदित्य एल-1 अभियान की सफलता भी झांकियों में प्रमुख घटनाओं में शामिल होने की संभावना है।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए पहुंचेंगे जनप्रतिनिधि
इस धार्मिक उत्सव के माध्यम से सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा जनप्रतिनिधि व्यक्तियों के साथ मुलाकातें होंगी। इसके लिए प्रदेशभर में कला, संस्कृति, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की टीमों से वार्तालाप शुरू कर दिया गया है। रायपुर, दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर, कोरबा, धमतरी, रायगढ़, राजनांदगांव, जगदलपुर, अंबिकापुर, और अन्य शहरों में गरबा उत्सव विविध रंगों में देखा जाएगा। इस इवेंट के लिए फंडिंग के लिए राजनीतिक पार्टियां भी आगे आ रही हैं।
छत्तीसगढ़ मूर्तिकार-चित्रकार संघ के अध्यक्ष देवानंद साहू ने बताया कि इस साल मूर्तियों के बुकिंग आ रही है। हालांकि हर वर्ष उत्साह सदैव ऊंचाई पर रहता है, लेकिन इस बार प्रदेशभर में 50 लाख से अधिक मूर्तियों के निर्माण की संभावना है। इसका मूर्तिकारों के व्यवसाय पर प्रभाव होगा। कोरोनाकाल के बाद यह एक आरामदायक दौर होने की संभावना है।
नवा रायपुर के मूर्तिकार पीलूराम साहू ने बताया कि इस चुनावी साल में मूर्तियों की थीम में कई बदलाव दिख रहे हैं। लोगों की विशेष मांगें आ रही हैं। अक्सर गणेश जी की मूर्तियों में नवाचार दिखाया जाता है। इस बार कई पंडालों में उनका शानदार रूप देखने का अवसर मिलेगा। मांग भरपूर है और एडवांस बुकिंग में तेजी हो रही है।
फैक्ट फाइल
माना (रायपुर) व थनौद (दुर्ग) में मूर्ति कारखाना-80
मूर्तिकार संघ के सदस्य-12,000
प्रदेश में मूर्ति कला केंद्र- लगभग एक लाख
प्रदेशभर में विराजित होने वाली मूर्तियां- 50 से 60 लाख
(नोट-आंकड़े मूर्तिकार संघ से मिली जानकारी के मुताबिक आंकड़ों में फेरबदल संभव)