रायपुर (राज्य ब्यूरो): 2023 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले, किसानों को संबोधित करने के लिए राजनीतिक दलों ने अपनी शक्ति प्रदर्शित की है। राज्य निर्माण के बाद, पिछले 23 वर्षों के दौरान किसानों को अब खाद-बीज की तलाश में घूमने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उनकी खेतों में हरियाली अब भी भगवान के साथ है।
वास्तव में, प्रदेश के बांधों में 21.40 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता है, लेकिन वास्तविक सिंचाई केवल 11 लाख हेक्टेयर में ही हो पा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदेश में नहर-नालियों का निर्माण सुनियोजित तरीके से नहीं हो पा रहा है, और इसकी प्रमुख कारण यह है।
सभी क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा की दरकार
प्रदेश में 12 बड़ी सिंचाई परियोजनाओं से लेकर छोटे-बड़े करीब तीन हजार बांध हैं। इसके बावजूद, बस्तर के सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, और नारायणपुर जैसे क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा केवल 15 प्रतिशत ही उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, और सरगुजा संभाग में भी सिंचाई की सुविधा की कमी है।
कृषि पंपों के कनेक्शन में देरी
जनवरी 2023 की स्थिति में, एक लाख 32 हजार 957 अस्थायी कृषि पंप कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। स्थायी कृषि पंप कनेक्शन के लिए 71 हजार 520 आवेदकों में से 64 हजार 229 ने शुल्क भुगतान भी कर दिया है। इसमें से 12,745 कृषि पंप कनेक्शन प्राप्त किए गए हैं।
जोगी, रमन और अब भूपेश सरकार में इतनी बढ़ी क्षमता
मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बनने पर, वर्ष 2000 में प्रदेश में जल संसाधन के बांधों और नहरों की क्षमता 13.28 लाख हेक्टेयर थी। उस समय, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने इस क्षेत्र का विस्तार किया और 2004 में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में राज्य में निर्मित सिंचाई क्षमता 15 लाख 51 हजार हेक्टेयर पर पहुंच गई।
उसी बीच, 2018 में निर्मित सिंचाई क्षमता 20 लाख 88 हजार हेक्टेयर थी, जबकि वास्तविक सिंचाई क्षमता केवल 10 लाख 38 हजार हेक्टेयर ही थी। 2018 से 2023 तक, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार के दौरान निर्मित सिंचाई क्षमता 21.40 लाख हेक्टेयर हो गई है, जबकि वास्तविक सिंचाई केवल 11 लाख हेक्टेयर में ही हो पा रही है।
यह कहते हैं आंकड़े
40.11 लाख कृषक परिवार छत्तीसगढ़ में
57 लाख हेक्टेयर है कृषि योग्य भूमि
48.08 लाख हेक्टेयर में खरीफ की खेती
18.08 लाख हेक्टेयर में रबी की फसल
15.99 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा
भूपेश सरकार ने किए कई प्रयास
प्राधिकरण का गठन: किसानों को सिंचाई की सुविधा देने के मकसद से राज्य में सिंचाई विकास प्राधिकरण की स्थापना की गई है।
टपक और स्प्रिंकलर को बढ़ावा: सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियों में ड्रिप (टपक) और फौवारा (स्प्रिंकलर) सिंचाई पद्धतियों को प्रोत्साहित किया गया है। इन दोनों सिंचाई प्रक्रियाओं को विशेष रूप से उद्यानिकी फसलों के लिए फायदेमंद माना जाता है। मार्च 2023 की स्थिति में, इस योजना के अंतर्गत 95,159 किसानों को इसका लाभ पहुंचा दिया गया है। योजना में छोटे और सीमांत किसानों को 55 प्रतिशत और अन्य किसानों को 45 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
दुर्गम इलाकों में सोलर पंप: पिछले साढ़े चार साल में 1.37 लाख सोलर पंप से दुर्गम इलाके के किसानों के खेतों में हरियाली छा गई है।
सिंचाई विस्तार नहीं होने से बढ़ा भू-जल दोहन
छत्तीसगढ़ में वार्षिक रूप से 44.43 प्रतिशत भू-जल का उपयोग हो रहा है। यह आंकड़े साल-दर-साल बढ़ते जा रहे हैं। राज्य जल संसाधन विभाग और केंद्रीय जल बोर्ड की नवीनतम रिपोर्ट भू-जल संकट के संकेत प्रस्तुत कर रही है। प्रदेश के 146 विकासखंडों में, गुरुर और धरसींवा जैसे क्षेत्रों में भू-जल का दोहन लगातार 90 प्रतिशत से अधिक हो रहा है।
छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग के पूर्व प्रमुख अभियंता एचआर कुटारे ने बताया कि सिंचाई की सुविधा को बढ़ाने के लिए नई परियोजनाएं शुरू की जा सकती हैं। राज्य सरकार बस्तर में बोधघाट परियोजना की योजना बना रही है। जशपुर क्षेत्र में भी बांध निर्माण का सर्वे किया गया है। इसके अलावा, अभी भी कई संभावनाएं हैं।
वर्षवार सिंचित क्षेत्र
वर्ष रकबा
2000 13.28 लाख हेक्टेयर
2004 15.51 लाख हेक्टेयर
2016 19.39 लाख हेक्टेयर
2018 20.88 लाख हेक्टेयर
2023 21.40 लाख हेक्टेयर