छत्तीसगढ़ में डेंगू : छत्‍तीसगढ़ में डेंगू का प्रकोप, सामान्‍य के साथ मरीजों का इलाज होने पर संकमण का खतरा बढ़ा…|

रायपुर: डेंगू के मामले राजधानी सहित प्रदेश भर में बढ़ रहे हैं। सरकारी और निजी अस्पतालों में संक्रमित रोगियों का इलाज जारी है। इन डेंगू मरीजों को मच्छरदानी में रखकर उपचार किया जा रहा है ताकि और लोग संक्रमित नहीं हों। यह उद्देश्य निजी अस्पतालों में सामान्य रोगियों के साथ भी अपनाया जा रहा है, जिससे सामान्य मरीजों के संक्रमण से बचा जा सके। शंकर नगर के एक निजी अस्पताल में इस प्रकार का इलाज किया जा रहा है, और इस वार्ड में डेंगू के मरीजों के साथ ही हार्ट, वायरल बुखार जैसी अन्य बीमारियों के मरीजों का भी इलाज हो रहा है।

आपको जानकारी देना महत्वपूर्ण है कि डेंगू अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए ज्यादा खतरानाक हो सकता है। हालांकि, इसके बावजूद, कोई विशेष वार्ड नहीं बनाया गया है और न ही पीड़ितों को मच्छरदानी में रखा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि एडिस मच्छर दिन में ही काटता है।

इस मच्छर की विशेषता यह है कि जब यह स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है, तो कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन जब यह संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो वह उसका बायोलॉजिक कैरियर बन जाता है। इसके बाद, जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है, तो वह व्यक्ति संक्रमित हो जाता है।

आयुष्मान योजना से भुगतान के लिए 290 क्लेम

स्वास्थ्य विभाग ने आयुष्मान और डा. खूबचंद बघेल योजना के अंतर्गत डेंगू के इलाज के लिए एक आठ-दिन का पैकेज तय किया है, जिसका कुल लागत 35 हजार रुपए के करीब है। आइसीयू में मरीज को तीन दिन तक भर्ती किया जा सकता है और इसके लिए प्रतिदिन के हिसाब से साढ़े आठ हजार रुपए का पैकेज तय किया गया है। इसके बाद, डॉक्टर मरीज की स्थिति के अनुसार पांच दिन तक उन्हें जनरल वार्ड में रख सकते हैं, और इसके लिए प्रतिदिन के 2200 रुपए का पैकेज तय किया गया है।

अब तक प्रदेशभर में 299 डेंगू मरीज़ की रिपोर्ट आई है। इनमें से 290 मरीजों के लिए आयुष्मान योजना के तहत दावे किए गए हैं। इसमें कबीरनगर फेस-2 के एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के 12 दावे भी शामिल हैं। प्रदेशभर से डेंगू मरीजों के इलाज में फर्जीवाड़ों की शिकायतों के बाद, स्वास्थ्य विभाग ने सभी सीएचएमओ को चेतावनी दी है कि जाँच करने के निर्देश दें।

क्लेम करने वाले अस्पतालों की होगी जांच

आयुष्मान और डॉ. खूबचंद बघेल योजना के अंतर्गत, डेंगू के इलाज का भुगतान करने वाले अस्पतालों की जाँच की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, कई अस्पतालों ने एलाइजा जांच रिपोर्ट के बिना ही दावे किए हैं, हालांकि डेंगू की पहचान के लिए एलाइजा टेस्ट आवश्यक है। टेस्ट रिपोर्ट को आंबेडकर अस्पताल, जिला अस्पताल के हमर लैब या सरकारी स्वास्थ्य संस्थान की होनी चाहिए। जिला और आंबेडकर अस्पताल में एलाइजा टेस्ट मुफ्त होता है। निजी अस्पताल संचालक भी टेस्ट के लिए सैंपल भेज सकते हैं।

राज्य महामारी नियंत्रक, डॉ. सुभाष मिश्रा, ने आवश्यकता स्पष्ट करते हुए कहा है कि सभी जिलों के सीएमएचओ से क्लेम करने वाले निजी अस्पतालों की जानकारी की मांग की गई है। वे बताते हैं कि गलत क्लेम करने वालों के खिलाफ नर्सिंग होम एक्ट के तहत कदम उठाया जाएगा। निजी अस्पतालों में भी डेंगू मरीजों को मच्छरदानी में रखने की अपेक्षा की गई है। जिनके द्वारा लापरवाही की जाती है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

आयुष्मान और डॉ. खूबचंद बघेल योजना के नोडल अधिकारी, डॉ. खेमराज सोनवानी, ने बताया कि डेंगू के इलाज के लिए आयुष्मान और डॉ. खूबचंद बघेल योजना के तहत करीब 290 क्लेम जमा हो चुके हैं। इन क्लेमों की जाँच और प्राधिकृति के बाद ही कार्ड को ब्लाक कर दिया जाएगा। अस्पतालों से संबंधित जानकारी भी जुटाई जा रही है।

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