बिलासपुर। दाधादापारा-चकरभाठा के बीच के समय, एक समय में यात्रियों में उत्तेजना फैल गई जब दो ट्रेनों की संघर्ष की खबर सामने आई। यात्री ट्रेन से उतरकर इधर-उधर दौड़ने लगे। स्थान पर भी भीड़ इकट्ठी हो गई। रेलवे अधिकारियों ने इस मामले पर दो शब्दों में कहा कि यह ऑटोमेटेड सिग्नलिंग प्रणाली का हिस्सा है। यह नियमित कार्यप्रणाली है। कभी-कभी एक ही ट्रैक पर तीन ट्रेनें एक साथ खड़ी होती हैं। इससे यात्रियों को घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।
बुधवार की शाम, लगभग चार बजे, बिलासपुर से एक यात्री ट्रेन रायपुर की ओर अपनी यात्रा प्रारंभ की। ट्रेन ने दाधापारा स्टेशन से निकलकर चकरभाठा स्टेशन के पहले ओवरब्रिज के पास पहुंचते ही खड़ी हो गई। इस दौरान, यात्री ट्रेन के पीछे मालगाड़ी का पता लगाया गया, जिसकी वजह से यात्रियों की सांसें टिक गईं, और ट्रेन के भीतर अचानक उत्पन्न हुई अफ़रातफ़री ने महौल को बेकाबू कर दिया।
किसी कथन के अनुसार, ट्रेन के लोको पायलट ने समय पर मालगाड़ी को रोक लिया, अन्यथा एक बड़ा हादसा घट सकता था। विपरीत, रेलवे ने इसे ऑटोमेटेड सिग्नलिंग की एक हिस्सा माना है। बिलासपुर मंडल में आमतौर पर ऐसा ही होता है। इससे घबराने या डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। सुरक्षा और संरक्षण पर पूरा ध्यान दिया जाता है।
इनका कहना
बिलासपुर के दपूमरे मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, साकेत रंजन, ने व्यक्त किया कि दो ट्रेनों के टकराने से संबंधित कोई ऐसी घटना नहीं हुई है। यह घटना आटोमेटिक सिग्ननलिंग के प्रणाली का एक हिस्सा है और यह नियमित कार्यवाही का हिस्सा है। अब एक ही समय में तीन ट्रेनें भी एक ही ट्रैक पर खड़ी हो सकती हैं। हम सुरक्षा और संरक्षण की पूरी तरह से जांच रखते हैं। इससे यात्रीगण को किसी भ्रम में नहीं होना चाहिए। किसी भी प्रकार के ऐसे भ्रमित करने वाले वीडियो की सत्यता की जांच करनी चाहिए।