Raksha Bandhan 2023: 14 साल बाद भी बहनों के लिए जिंदा हैं बलिदानी भाई, राखी बांधी तो छलक पड़े आंसू…|

सुकमा। रक्षा बंधन 2023 के विशेष अवसर पर: भाई-बहन का संबंध अनमोल होता है। राखी केवल एक धागा नहीं होती, बल्कि यह भाई-बहन के प्यार के बंधन की अटूट डोर को दर्शाती है, जिसे हमेशा बहन अपने भाई की कलाई में बांधती है और उस रक्षा की प्रतिज्ञा करती है।

इस रिश्ते की सुगंध कभी कम नहीं होती। आज भी बहनें उन अपने बलिदानी भाइयों की याद में, जो देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देते हैं, उनकी प्रतिमा के हाथों में राखी बांधकर इस पवित्र रिश्ते का सत्त्व बनाए रख रही हैं। उन्होंने खुद की रक्षा का अनमोल आश्वासन दिया है। 14 साल बाद भी, वो भाई बहनों की स्मृतियों में आते हैं, और यह विचार कर उनकी आँखों में आंसू आते हैं। वे चाहती हैं कि कश्मकश में न होते, और उनके भाई रक्षा बंधन के दिन उनके साथ होते, लेकिन उनके देश सेवा में किए गए बलिदान पर वे गर्व करती हैं।

सुकमा में बनाए गए हैं 12 जवानों के शहीद स्मारक

पिछले कई सालों से सुकमा जिले में नक्सलवाद से जूझते हुए सैकड़ों जवानों ने अपने जीवन की आहुति दी है। इस जिले के अनेक क्षेत्रों में वीर बलिदानीयों की प्रतिमाएँ स्थापित हैं, जिनका साक्षात्कार किया जा सकता है। एक ऐसा ही गाँव है एर्राबोर, जो एनएच-30 पर स्थित है। गाँव के पास सप्ताहिक बाजार के क्षेत्र में 12 वीर जवानों के शहीद स्मारक स्थापित किए गए हैं। ये सभे वीर जवान गाँव के निवासी हैं और विभिन्न घटनाओं में नक्सलियों से लड़ते हुए अपनी जान न्योछावर की हैं। 10 जुलाई 2007 को एर्राबोर थाना क्षेत्र के उत्पलमेटा में हुई घटना में 23 जवान बलिदानी हो गए थे। इस घटना में से 6 जवान एर्राबोर गाँव के ही थे।

इस घटना के उपरांत, इन वीर जवानों की प्रतिमा को स्थापित किया गया। उन जवानों की बहनें प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन के दिन यहाँ आकर राखी बांधने आती हैं। एर्राबोर की घटना के बाद, गांव में और भी जवानों ने नक्सली हमलों से मुकाबला किया, जिससे 12 जवानों की प्रतिमा यहाँ उभारी गई है। इस स्थान पर प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों के आवागमन का इंतजार करती हैं। स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर, यहाँ पुलिस संगठन द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

हर राखी पर आती हूं: सोयम संकरी

मेरे प्रिय भाई वेंकटेश सोयम, वर्ष 2007 की उस घटना में जब नक्सलियों से लड़ते हुए आपने अपने जीवन की आहुति दी थी। उसके बाद से आज तक, हर साल मैं आपकी याद में शहीद स्मारक पर पहुंचती हूं और आपकी कलाई में रक्षासूत्र बांधती हूं। मुझे गर्व होता है कि मेरा भाई देश की सेवा में अपने प्राणों की आहुति देने के लिए समर्पित रहा है।

यहां आकर भाई को करती हूं महसूस : कमला सोयम

मई 2010 में, चिंगावरम के पास नक्सलियों ने एक बस को बम से उड़ा दिया था, जिसमें मेरे प्रिय भाई चंद्रा सोयम भी मौजूद थे। वे उस घटना में अपने जीवन की आहुति दे दी थीं। उस समय मैं अब तक कुछ छोटी थी और उस जगह पर हमने मेरे भाई की स्मृति को समर्पित करने के लिए उनकी प्रतिमा को स्थापित किया गया था। उसके बाद से, हर साल हम परिवार साथ आकर राखी बांधने आते हैं। हर राखी के समय, मैं दुखी होती हूं, क्योंकि हर बहन के पास उनके भाई होते हैं, लेकिन मेरे प्रिय भाई ने देश की सेवा में अपने जीवन की आहुति दे दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page