जगदलपुर। जगदलपुर समाचार: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के नक्सलगढ़ में एक नया पौधा उग रहा है, जो गोलियों की गूँज और शोर के बीच खेल के मैदान में अपनी महत्वपूर्णता साबित करने के लिए तैयार है। नक्सली आवासों से ही ऐसी प्रतिभाएँ उद्भव हो रही हैं, जो अपनी मेहनत और संघर्ष से विश्व स्तर पर अपना नाम बना रही हैं। बीजापुर के प्रशासनिक खेल अकादमी में आदिवासी बच्चों को तैयार करने वाले सॉफ्टबॉल प्रशिक्षक सोपान कर्णेवाल, जिन्होंने अंदरूनी क्षेत्र से आए बच्चों को ‘कुंदन’ बनाने के लिए अपने प्रयासों को तपस्या का रूप दिया है।
अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले 70 खिलाड़ ऐसे भी हैं, जो छत्तीसगढ़ की टीम से राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुके हैं या खेल रहे हैं, और 40 से अधिक पदकों को राज्य के लिए जीत चुके हैं। 29 अगस्त से 3 सितंबर तक चीन में आयोजित होने वाले अंडर 18 एशिया कप सॉफ्टबॉल की टीम में बीजापुर की खिलाड़ी रेणुका तेलम (16) और विमला तेलम (16) भी भाग लेंगी। उनके साथ ही, बीजापुर खेल अकादमी के सॉफ्टबॉल प्रशिक्षक सोपान कर्णेवाल को भारतीय टीम के मुख्य प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है।
खेल हब बन रहा बीजापुर, 400 बच्चों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण
बीजापुर खेल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे बच्चों में अधिकांश ऐसे गांव से आए हैं, जहां पहले नक्सलियों का भय था। धनोरा गांव की निवासियों, रेणुका आवापल्ली और विमला, कहती हैं कि उन्हें गांव की प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद अकादमी में प्रशिक्षण का मौका प्राप्त हुआ। तीन महीने पहले जापान भेजी गई टीम के सदस्य, राकेश कड़ती, आवापल्ली के गांव के हैं। जब वे बच्चे थे, तो उनके पिता की हत्या को नक्सलियों ने किया था। कलेक्टर राजेंद्र कटारा ने बताया कि अकादमी में विभिन्न खेलों के करीब 400 बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
यह खिलाड़ी भी खेल चुके हैं
2017 में अकादमी की स्थापना के बाद से, अरुणा पुनेम, सुनीता हेमला, सविता हेमला, सुरेश हेमला, त्रिलेश उद्दे, राकेश कड़ती, और सुशील कुड़ियम ने भारतीय टीम के साथ खेला है। इन खिलाड़ियों की कहानियों से प्रेरित होकर कई अभिभावक अपने बच्चों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।