कवर्धा समाचार: घर के दरवाजे में दस्तक दे रही मौत, नदी के कटाव में दो मकान हुए धराशायी…|

 कवर्धा: नदी के कटाव के कारण मकानों का गिरना इस तरह सोचिए, जैसे आप दरवाजा खोलते ही आपके सामने सीधे मौत की गहराई दिखाई दे रही हो। कुछ ऐसा ही दृश्य कावरधा के कोडार गांव में प्रकट हुआ, जहां जब दरवाजा खुलता है, तो वहां ग्रामीणों को 30 फीट गहरी मौत की खाई दिखाई देती है। यदि आपको इस पर विश्वास नहीं हो रहा है, तो आप रिपोर्ट देख सकते हैं और जान सकते हैं कि आखिरकार कैसे यह पूरा मामला विकसित हुआ, जहां मौत के साये में जीने वाले ग्रामीणों की कहानी समाहित है।

वास्तव में, कवर्धा जिले के मुख्यालय से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गांव है, जिसका नाम कोडार है। इस गांव से होकर सकरी नदी बहती है, और इसी नदी के किनारे गांव बसा है। लगातार तेज बहाव के कारण नदी के किनारे का कटाव बढ़ता जा रहा है, जिसने धीरे-धीरे ग्रामीणों के घरों के दरवाजों तक पहुँच लिया है। इसके परिणामस्वरूप, जब भी कोई गांव के लोग अपने घरों से बाहर निकलते हैं, उन्हें सीधे मौत की आँखों में देखने का खतरा होता है। स्थिति इतनी खतरनाक है कि लोग अपने कदमों को सतर्कता से रखते हैं, क्योंकि एक ही गलत कदम उन्हें मौत के गहरे में ढलने की दिशा में ले जा सकता है। ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के कारण, गांव के लोग डर और आतंक के माहौल में जीने के लिए मजबूर हैं। उनका कहना है कि उन्हें अपनी जान की खतरा की चिंता हमेशा रहती है, और इसके अलावा, सबसे ज्यादा डर उन्हें घरों के गिरने का होता है।

हाल ही में भारी बरसात के परिणामस्वरूप, नदी ने अपनी विकरालता का परिदृश्य प्रकट किया है, जिसमें दो मकान धराशायी हो गए हैं। इस परिस्थिति में, अन्य मकानों का भविष्य अज्ञात है कि कब वे धर जाएँगे। जान ख़तरे की बात बनती है क्योंकि ग्रामीण इतने डर में हैं कि वे बिना किसी वजह के भी अपने मकान से बाहर नहीं निकलते। इसके अलावा, जब ग्रामीण अपने दैनिक कार्यों और कृषि कामों के लिए घर से बाहर निकलते हैं, तो वे बच्चों की देखभाल के लिए किसी एक परिवार के सदस्य को घर पर ही छोड़ देते हैं, ताकि बच्चे घर से बाहर न निकल सकें।


नदी के कटाव के कारण मकानों का गिरना, इस समस्या के संबंध में ग्रामीणों ने पूर्वी सरकार और वर्तमान सरकार, साथ ही साथ जिला प्रशासन को कई बार जानकार कराया है, लेकिन इन असहाय ग्रामीणों की हालत पर किसी की दया नहीं आ रही है, और यह परिस्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। ग्राम सरपंच भी इस बारे में सहमत हैं कि ग्रामीण जीवन खतरे में हैं, लेकिन पंचायत स्तर पर वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहा है।

स्थानीय विधायक और कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर द्वारा भी जब हमने इस समस्या के बारे में पूछा, तो उन्होंने इसकी जानकारी प्राप्त की है और लोक निर्माण विभाग को एक प्रस्ताव पेश किया गया है, लेकिन फिर भी इस समस्या की जांच करने की आवश्यकता है।

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