कानूनी शब्दावली से हटेंगे लैंगिक असमानता दर्शाने वाले शब्द, अब कोर्ट में महिलाओं के लिए बिन ब्याही मां…! SC की नई गाइडलाइन जारी….

जेंडर स्टीरियोटाइप्स पर सुप्रीम कोर्ट: नई दिल्ली। भारतीय अदालतों ने अब से महिला स्थितियों को आपत्तिजनक साबित करने वाले ऐसे जेंडर स्टीरियोटाइपिक शब्दों का प्रयोग निषेध कर दिया है। इससे आगे बढ़कर, ऐसे शब्दों का उपयोग न केवल वकीलों की दलीलों में नहीं हो सकेगा, बल्कि न्यायिक निर्णयों में भी नहीं हो सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस दिशा में एक मार्गदर्शिका जारी की है, जिसमें ऐसे शब्दों के उदाहरण दिए गए हैं और उनके समर्थन में विकल्प प्रस्तुत किए गए हैं।

इससे जजों और वकीलों को उनके फैसलों और तर्कों में जेंडर से संबंधित अनुचित शब्दों का इस्तेमाल करने से बचाव में मदद मिलेगी। इस हैंडबुक का शुभारंभ भारतीय मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा किया गया है। उन्होंने इस मौके पर बताया कि इस हैंडबुक के माध्यम से जजों और वकीलों को स्पष्ट होगा कि कौन-से शब्द स्टीरियोटाइप (पूर्वाग्रहणात्मक) माने जा सकते हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है। इसके अलावा, अब जल्द ही कानूनी शब्दावली से “छेड़छाड़”, “वेश्या”, “बिना ब्याही मां”, “अफेयर” और “हाउसवाइफ” जैसे शब्दों का बाहर जाने का प्रावधान होगा।

चीफ जस्टिस ने जारी किया हैंडबुक

सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रकाशित हुई एक हैंडबुक में न्यायिक विमर्श के लिए और आदेशों व फैसलों के उपयोग के लिए वैकल्पिक शब्द और मुहावरे प्रस्तुत किए गए हैं। इस हैंडबुक का विमोचन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में की गई पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा किया गया है। यह हैंडबुक ‘हैंडबुक ऑन कॉम्बैटिंग जेंडर स्टीरियोटाइप्स’ के नाम से प्रकट हुआ है। इसकी उद्घाटन सुनवाई के दौरान हुई, जब जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं की सुनवाई शुरू हो रही थी।

प्रचलित शब्दों के इस्तेमाल से नुकसान

इस 30 पृष्ठों के हैंडबुक में यह भी विवरण दिया गया है कि कैसे प्रसिद्ध शब्दों का गलत उपयोग क्यों होता है और वे कैसे कानून को प्रभावित कर सकते हैं। इस हैंडबुक का शुभारंभ करते समय, चीफ जस्टिस ने बताया कि इसका उद्देश्य किसी विशेष निर्णय की आलोचना या संदेह करना नहीं है, बल्कि यह दिखाना है कि अनजाने में कैसे रूढ़िवादियों का परंपरागत उपयोग चल रहा है। इसके साथ ही, अदालत का उद्देश्य यह भी है कि बताया जाए कि रूढ़िवादिता का अर्थ क्या है और इससे कैसा हानि हो सकता है।

कई शब्दों को बदला गया

जेंडर स्टीरियोटाइप्स पर सुप्रीम कोर्ट: इस हैंडबुक में कई शब्दों का परिवर्तन किया गया है। उदाहरण के लिए, इसमें “बिन ब्याही मां” की जगह सिर्फ “मां”, “वेश्या” की जगह “यौनकर्मी”, “अफेयर” की जगह “शादी से इतर रिश्ता”, और “छेड़छाड़” की जगह “सड़क पर यौन उत्पीड़न” जैसे शब्दों का उपयोग किया जाएगा।

सूची में शामिल कुछ शब्द इस प्रकार हैं —

व्यभिचारिणी :विवाहेतर संबंध बनाने वाली महिला
प्रेम संबंध : विवाह से बाहर संबंध
बाल वेश्या: जिस बच्चे-बच्ची की तस्करी की गई है
रखैल: एक महिला, जिसके साथ एक पुरुष का विवाहेतर यौन संबंध है
फब्तियां कसना: गलियों में किया जाने वाला यौन उत्पीड़न
जबरन बलात्कार: बलात्कार
देहव्यापार करने वाली (हार्लट) : महिला
वेश्या (हूकर): यौन कर्मी
भारतीय महिला/पाश्चात्य महिला : महिला
विवाह करने योग्य उम्र: एक महिला जो विवाह के लिए जरूरी आयु की हो गई है
उत्तेजित करने वाले कपड़े/परिधान :कपड़े/परिधान
पीड़ित या पीड़िता :यौन हिंसा प्रभावित
ट्रांससेक्सुअल : ट्रांसजेंडर
बिन ब्याही मां :मां

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