रायपुर समाचार: महादेव और रेड्डी अन्ना, जिन्होंने ऑनलाइन बेटिंग ऐप के माध्यम से सट्टा खेलने का आरोप उठाया गया था, उनको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। सीए इस मामले की मास्टरमाइंड साबित हुए हैं। उनके साथ और आठ आरोपितों को भी पकड़ा गया है। उनके पास से साढे 14 लाख रुपये नकद, 21 मोबाइल फोन, पांच पासबुक, 12 एटीएम कार्ड, 12 चेक बुक, तीन लैपटॉप, दो कंप्यूटर सिस्टम, और तीन डायरीज़ जब्त की गई है। आरोपितों ने अपने खातों में करोड़ों रुपये का लेन-देन किया था। खमतराई पुलिस ने आठ गिरफ्तारियों को गुढि़यारी स्थिति से, पांच को गुढि़यारी से और दो को तेलीबांधा स्थिति से पकड़ा है। शनिवार को, एसपी प्रशांत अग्रवाल और एएसपी अभिषेक माहेश्वरी ने इस पूरे मामले के विवाद को समय पर सुलझाने का काम किया। उन्होंने बताया कि उनकी टीम अब बैंक कर्मचारियों से भी जाँच करेगी। जिन नामों की प्रकटि होगी, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
प्रार्थी अरुण जाल ने थाना खमतराई में रिपोर्ट दर्ज करवायी कि उनका निवास त्रिमूर्ति नगर, रायपुर में है। वे वेल्डिंग काम करते हैं। प्रार्थी की पत्नी संगीता जाल एक वर्ष पहले रजत अग्रवाल के घर में काम करती थी, जिससे प्रार्थी की पहचान रजत अग्रवाल से हुई थी। रजत अग्रवाल ने प्रार्थी से करीब दो महीने पहले वॉल्टियर गेट, डीआरएम ऑफिस के पास मिलकर बताया कि उसको तत्काल बैंक खाते की आवश्यकता है। उसने कुछ दिनों तक लेन-देन किया और फिर उसने इसे उसे वापस करने का आश्वासन दिया। उस समय प्रार्थी ने उस पर विश्वास किया और उसकी मांगों के अनुसार अपना पैन कार्ड, आधार कार्ड, और पासपोर्ट साइज फोटो प्रदान किया। रजत अग्रवाल ने एचडीएफसी बैंक के देवेंद्र नगर शाखा से एक फार्म लाकर प्रार्थी से हस्ताक्षर करवाया और उसके बाद प्रार्थी के नाम से एक बैंक खाता खोलवाया। संगीता जाल के बारे में भी उसने यही प्रक्रिया फॉलो की और उसने भी एचडीएफसी बैंक में एक खाता खोलवाया।
पासबुक और एटीएम कार्ड को अपने पास संभाल कर, और खातों में मोबाइल नंबर भी रजत अग्रवाल ने जोड़वाया, लेकिन इस संदर्भ में प्रार्थी से वह किसका नंबर जोड़वाने का विवरण नहीं दिया। कुछ दिनों बाद, रजत ने प्रार्थी को अपने बैंक खाते के बंद होने की सूचना दी। जब प्रार्थी ने एचडीएफसी बैंक के देवेंद्र नगर शाखा में जाकर पूछा, तो बैंक प्रबंधक ने उसे बताया कि उसके खाते में अत्यधिक पैसों के लेन-देन के कारण उसका खाता बंद कर दिया गया है। रजत अग्रवाल से पूछताछ करते समय, उसके बैंक खातों में हुए लेन-देन के बारे में पूछा गया, तो उसने टाल-मटोल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। प्रार्थी की शिकायत के बाद, पुलिस ने जांच की प्रक्रिया आरंभ की। पूछताछ के दौरान, आरोपी रजत अग्रवाल ने अपने साथी हिमांशु सिंह, मन्टु मांझी, मदन कुमार यादव, मो. उमैर, मोहित टांक, सीए फरहान, और उपेन्द्र दास के साथ मिलकर उक्त घटना के पीछे का सच स्वीकार किया।
आफिस खोलकर चलाते थे सट्टे का कारोबार
पंडरी स्थित मोवा में, सीए फरहान के साथ अन्य आरोपित व्यक्तियों ने ‘बर्न ब्लैक’ नामक कार्यालय की संचालन की थी। इस कार्यालय के माध्यम से, वे लोगों को धोखे में डालकर उन्हें ऋण प्रदान करने और विभिन्न आकर्षक योजनाओं के तहत लुभाने का काम करते थे। इस प्रक्रिया में, उन्होंने लोगों से उनके व्यक्तिगत दस्तावेजों को प्राप्त किया, जैसे कि पासबुक, चेकबुक, और एटीएम कार्ड, और उनके बैंक खातों में उनका मोबाइल नंबर दर्ज करवाया। इसके बाद, उन्होंने बिना लोगों की जानकारी के उनके बैंक खातों को खोलवाया और उन्हें ऑनलाइन सट्टा के पैसों के लेन-देन के लिए इस्तेमाल किया।
सब्जी वाले को सिम कार्ड में आफर मिलने का दिया झांसा, खाते में पौने दो करोड़ का लेनदेन, पांच गिरफ्तार
पहाड़ी चौक, जो ठेले में सब्जी बेचते हैं, के निवासी राजेंद्र कुमार भारती ने संजू और वैभव शुक्ला के खिलाफ ठगी के मामले में रिपोर्ट दर्ज करवाई। राजेंद्र ने बताया कि उन्होंने संजू और वैभव के पास जियो कंपनी के सिम कार्ड लेने के लिए जाना था। यहाँ तक कि उन्होंने उनके आधार कार्ड, पेन कार्ड, और दो फोटो लेने के साथ एक कोरे कागज में हस्ताक्षर करने का आदान-प्रदान किया था, जो कि मुफ्त छह महीनों के मोबाइल कॉलिंग के साथ डेटा प्राप्त करने का वादा कर रहे थे। उन्होंने उनके अंगूठे का निशान भी लिया और उसे अपने पास रख लिया।
बाद में, राजेंद्र के दस्तावेज से बैंक में एक खाता खुलवाया गया और उसके माध्यम से दो करोड़ रुपये के लेन-देन की प्रक्रिया की गई। बैंक से मिली जानकारी के बाद, राजेंद्र को यह पता चला कि उनका खाता बिना उनकी जानकारी के खुलवाया गया था और उसका उपयोग ऑनलाइन सट्टा के पैसों के लेन-देन के लिए किया गया था।
इस मामले में गुढि़यारी पुलिस और एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट की संयुक्त टीम ने जांच की प्रक्रिया आरंभ की। इस जांच के परिणामस्वरूप, संजू जिनका असली नाम संजीव भारद्वाज है, वैभव शुक्ला, प्रशांत अग्रवाल, रमेश अग्रवाल, और जीत मसराणी को गिरफ्तार किया गया। इनमें से कुछ अर्थपूर्ण बैंक खातों के माध्यम से महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप के पैसों का लेन-देन कर रहे थे।