मध्यप्रदेश में स्थित ‘बैलेंसिंग रॉक’: सालों से रहस्य बना यहां मौजूद ‘बैलेंसिंग रॉक’, भूकंप भी नहीं हिला सका 1 इंच, देश के कोने-कोने से आते हैं पर्यटक

जबलपुर। यह शहर न केवल जबलपुर बल्कि विश्वभर में भी ग्रेनाइट चट्टानों की पहाड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। मदन महल पहाड़ी पर स्थित ‘बैलेंसिंग रॉक’ एशिया की तीन प्रमुख बैलेंसिंग रॉक में से एक है, जिनमें से सभी भारत में ही स्थित हैं। यह बड़ी बात है कि ‘बैलेंसिंग रॉक’ की वजह से दुनियाभर में जबलपुर की पहचान होती है। जबलपुर में एक ऐसा पत्थर है जो अपनी विशेष रचना के लिए प्रसिद्ध है, और उसे ‘बैलेंसिंग रॉक’ कहा जाता है। इस कई क्विंटल वजन वाले पत्थर को कुछ इंच के आधार पर खड़ा रहने में सफलता मिली है, जो वाकई चमत्कारिक है।

इसका बैलेंस ऐसा है कि बड़े से बड़े भूकंप के झटकों ने इसे आज तक हिलाने में असमर्थ बना दिया है। इस वजह से जबलपुर की यह ‘बैलेंसिंग रॉक’ आज भी लोगों के बीच एक रहस्यमयी विषय के रूप में उपस्थित है, कि पेंसिल की नोंक के बराबर बेस पर यह विशाल पत्थर इतनी मजबूती से कैसे टिका हुआ है। इस अनसुलझे रहस्य को समझने के लिए हर साल यहां बड़ी संख्या में पर्यटक जबलपुर आते हैं।

विशेषज्ञों ने बैलेंसिंग रॉक के चमत्कार का राज खोलने का प्रयास किया है, परंतु उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली। यह बात नहीं केवल इतनी ही है, साल 1997 में जबलपुर में आए भूकंप के झटकों का इस बैलेंसिंग रॉक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, जबकि उस समय भूकंप ने जबलपुर में विपरीत परिणाम पैदा किया था। उस दौरान कई इमारतें ध्वस्त हो गईं, जानें भी गईं, परन्तु पूरे शहर में बैलेंसिंग रॉक ही एक ऐसी विशेषता रखता था जिस पर भूकंप के झटकों का कोई असर नहीं पड़ा था।

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