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चिटफंड कंपनियों में अपनी गहन कमाई के बड़े हिस्से खो देने वालों की राशि अभी तक वापस नहीं हुई है, जबकि सहारा इंडिया में निवेश करने वालों ने अपनी राशि वापसी की मांग की है और इस बारे में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
400 निवेशकों ने अपने वकीलों के माध्यम से 12 अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। इन याचिकाओं के अनुसार, जब राशि मैच्योर हो गई थी और राशि व्याज के साथ वापसी की मांग की गई थी, तब बिलासपुर में स्थित सहारा इंडिया की शाखा के अधिकारियों ने कंपनी से राशि जारी करने के बारे में जानकारी दी थी।
याचिका के अनुसार, सहारा इंडिया के अधिकारियों ने दोबारा राशि जमा करने की मांग की थी और इस स्कीम के तहत राशि जमा करने की बात कही थी। उन्होंने व्याज डर ज्यादा देने की जानकारी भी दी थी। निवेशकों को यह आशा है कि भविष्य में अधिक राशि मिलेगी और इसलिए उन्होंने राशि जमा करा दी है।
जब अवधि पूरी हो जाती है और राशि लेने जाते हैं, तब कंपनी ने इनकार कर दिया। याचिका के अनुसार, सहारा को-ऑपरेटिव सोसाइटी में मजदूर, सामान्य कामकाजी से लेकर व्यापारी तक ने अपनी मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा कंपनी के अलग-अलग स्कीम में जमा किया है।
बांड मेच्योर होने के बाद भी जब राशि नहीं मिली तो निवेशकों ने कंपनी के मुख्यालय में पत्राचार भी किया। किसी तरह से सन्तुष्ट जवाब न मिलने पर, हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। चिटफंड कंपनी के मामले में राज्य सरकार ने निवेशकों को आश्वासन दिया था और उस आश्वासन के बाद हाई कोर्ट से जारी निर्देश के बाद सहारा इंडिया के निवेशकों को भी बल मिला है।
सहारा इंडिया के निवेशकों ने अपनी जमा पूंजी वापस पाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। चिटफंड कंपनियों में अपनी गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा कमाने वाले 20 हजार से ज्यादा निवेशकों ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में शप
“याचिका अभी भी हाईकोर्ट में लंबित है। पिछली सुनवाई के दौरान राज्य शासन के महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने हाई कोर्ट के सामने बताया था कि चिटफंड कंपनियों की अचल संपत्ति जिन जिलों में है, उसकी नीलामी से जो राशि प्राप्त हो रही है, उसे निवेशकों को लौटाया जाएगा। इस पहल की शुरुआत राज्य शासन ने राजनांदगांव से की है। अलग-अलग जिलों में चिटफंड कंपनियों की अचल संपत्ति के संबंध में राज्य सरकार द्वारा जानकारी दी गई है।”
बिलासपुर के निवेशकों के सामने एक बड़ी मुसीबत है।
इसी सीधी रवानी में, बिलासपुर जिले के निवेशकों के सामने एक बड़ी समस्या है। लगभग एक लाख 25 हजार निवेशकों से आवेदन मंगाए गए थे। कलेक्ट्रेट में अलग-अलग ब्लाक के निवेशकों की अलग-अलग कंपनियों में निवेश की सूची बनाई गई है। बिलासपुर जिले में चिटफंड कंपनियों की अचल संपत्ति नहीं होने के कारण प्रशासन के सामने एक व्यावहारिक दिक्कत है, जिसके चलते वह निवेशकों को उनकी राशि वापस नहीं लौटा पा रही हैं।