राजिम: – असम राइफल्स सेना में बेटी का प्रवेश देश की बेटियां अब हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। पहले लड़कियों के लिए सेना में भर्ती होना एक सपना हुआ करता था, लेकिन आज देश की बेटियों ने इस क्षेत्र के दरवाजे भी खोल दिए हैं। ऐसी ही जांबाज बेटियों में एक नाम गरियाबंद जिले के जोगिडीपा गांव की उमेश्वरी का भी है।
कभी चूल्हे में खाना बनाती यह बिटिया अब एक फौजी बिटिया बन गई है, जिसे देखकर हर किसी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। जब पिता को बेटी की असम राइफल्स सेना में भर्ती होने की खबर मिली, तो पिता के आंसू नहीं रुक रहे थे। उमेश्वरी अभी मात्र 22 साल की हैं और जब असम राइफल्स की ट्रेनिंग के बाद गांव पहुंची, तो गांव के लोगों ने उसका जोरदार स्वागत किया।
नानाजी से मिली सेना में जाने की प्रेरणा
उमेश्वरी के नाना, स्वतंत्रता सेनानी गणेशराम, 1939 में सेना में थे। उस समय उन्हें मेडल और तिरंगा से नवाजा गया था, और उमेश्वरी व उसके परिवार ने इन्हें संभाल कर रखा है। रोज उसे ही देखकर, वह से उमेश्वरी को सेना में जाने की प्रेरणा मिली।
बेटी की सफलता देख परिजनों की आँखें हुई नम
मध्यमवर्ग परिवार की बेटी उमेश्वरी एक शुरू से होनहार और बेहतर खिलाड़ी है। पिता किसुन ध्रुव, मां बृंदाबाई, भाई योगेश, राकेश और दादी नानी की आंखों में बिटिया की सफलता को देखकर नमी आ जाती है। घर में खेती, किसानी, चूल्हा चौकी और परिवार का ख्याल रखने वाली उमेश्वरी अब आंतरिक सुरक्षा का मोर्चा संभालेगी और उग्रवादियों से लोहा लेने के लिए तैयार है।