बिलासपुर | धमकी देकर या बहला-फुसलाकर या अन्य परिस्थितियों में व्यक्ति को उत्साहित करके, उसे अपना धर्म छोड़ने और दूसरे धर्म में परिवर्तित करने को “मतांतरण” कहा जाता है। केरला स्टोरी में इस कथा को विस्तार से बताया गया है।
यह सभी ने लगभग देखी होगी और फिल्म देखने के बाद कहानी पर विचार भी किया होगा। इस फिल्म की पूरी स्क्रिप्ट मतांतरण के चारों ओर घूमती है। अगर आपने इस फिल्म को देखा है तो आप भयावहता के साथ मतांतरण की भी अच्छी जानकारी रखेंगे।
धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के अनुसार, बहला-फुसलाकर या आर्थिक प्रलोभन देकर किए गए मतांतरण की कानूनी मान्यता नहीं होती है। यह अनूप तिवारी, एक वकील, द्वारा कहा गया है। इस प्रकार की घटना पर प्रभावी तरीके से नियंत्रण बनाने के लिए केंद्र शासित प्रदेश द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम को प्रचालित किया गया है|
तिवारी वकील बताते हैं कि केंद्र सरकार ने जबरिया धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर नियंत्रण लगाने के उद्देश्य से इस प्रकार के कानूनों को बनाया है। शादी के डर से धमकाकर या प्रलोभन देकर या अन्य माध्यमों के माध्यम से किए गए मतांतरण के मामलों में सजा का भी प्रावधान है। आर्थिक रूप से प्रलोभन देकर मतांतरण कराने को कपटपूर्ण व्यवहार के रूप में दिखाया गया है।
तिवारी वकील बताते हैं कि किसी मामले में अगर किसी व्यक्ति को धोखे से या धमकाकर मतांतरित कर दिया जाता है, तो यह मतांतरण कानून के लिए वैध्य नहीं माना जाएगा।
शिकायत दर्ज कराने का है प्रविधान
तिवारी वकील बताते हैं कि कानून में दिए गए अधिकार के अंतर्गत, यदि किसी व्यक्ति को डरा धमकाकर या आर्थिक रूप से लालच देकर मतांतरण कराया जाता है, तो पीड़ित व्यक्ति या उनके स्वजन या कोई भी व्यक्ति इसकी शिकायत दर्ज करा सकता है।
प्रेम विवाह के जरिए मतांतरण
प्रेम विवाह के माध्यम से मतांतरण कराने और विवाह कराने को कानूनी मान्यता नहीं मिलती है। कानून के दृष्टिकोण से इसे शून्य माना जाता है। यदि कोई युवती या महिला ऐसे मामले में पीड़ित है, तो उसके परिवार के किसी भी सदस्य, स्वजन या परिचित परिवार न्यायालय में आवेदन देकर इस विवाह को शून्य घोषित करने की याचिका भी दर्ज करा सकते हैं।
ऐसे मामलों की सुनवाई परिवार न्यायालय में की जा सकती है। तिवारी वकील बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति अपनी पहचान छुपाकर किसी अन्य धर्म की महिला से मतांतरण करके शादी करता है, तो उससे उत्पन्न होने वाली संतान को पुरुष की पूरी संपत्ति पर कानूनी अधिकार होता है।
छत्तीसगढ़ के दूरस्थ वनांचल के अलावा, मतांतरण को लेकर विवाद की स्थिति बन रही है। ऐसे ग्रामीण क्षेत्र भी हैं जहां साक्षरता का प्रतिशत कम होता है और गरीबी अधिक होती है। इन जगहों पर मिशनरी की सक्रियता लगातार बढ़ रही है। मतांतरण के मामलों में इन जगहों पर लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं।
मिशनरियों द्वारा गरीब लोगों को सेवा, शिक्षा और प्रलोभन के नाम पर मतांतरण कराया जा रहा है। पिछले महीने बस्तर में मतांतरण की एक घटना के बाद, आदिवासियों के बीच विवाद की स्थिति भी उत्पन्न हुई। विवाद इतना बढ़ गया कि कानूनी व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठने लगे थे।
आपरेशन घर वापसी
दूरस्थ वनांचल और ग्रामीण क्षेत्रों में मतांतरण की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, पूर्व सांसद स्व. दिलीप सिंह जूदेव के पुत्र द्वारा ‘आपरेशन घर वापसी’ अभियान भी चलाया जा रहा है। उनके पुत्र उनके नक्शे कदम पर चलते हुए, वे ऐसे मतांतरित व्यक्तियों को घर वापस लौटने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं। उनकी सम्मानपूर्वक घर वापसी को आगे बढ़ाया जा रहा है। सामाजिक बैठकों के बाद, घर वापसी करने वाले व्यक्तियों की सामाजिक स्वीकार्यता भी तय की जा रही है।