चिरायु योजना: रायपुर। बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (चिरायु) ने जन्म से ही स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से पीड़ित बच्चों के लिए जीवन को आश्रयदायक बना दिया है। बच्चे का जन्म परिवार में आनंद लाता है, लेकिन कभी-कभी नवजात शिशु के जन्म से माता-पिता की खुशियों के साथ-साथ चिंताएं भी बढ़ जाती हैं। जन्मजात विकृतियों वाले बच्चों के परिवारजनों का भविष्य से संघर्ष अक्सर आता है। लेकिन भूपेश सरकार ने प्रदेश के परिवारों और उनके बच्चों की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाई है।
बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही चिरायु योजना
छत्तीसगढ़ सरकार की चिरायु योजना प्रदेश के बच्चों के लिए एक आशीर्वाद सिद्ध हो रही है। इस योजना के अंतर्गत, चिकित्सक दल विभिन्न जिलों में आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंचते हैं, जहां नियमित रूप से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों की नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण की जा रही है और उन्हें मौके पर ही उपचार दिलाया जा रहा है। इसके साथ ही, राज्य के लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।
केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई स्वास्थ्य योजनाओं के साथ ही, पात्र व्यक्तियों को राज्य की योजनाओं का भी लाभ मिलता है। भूपेश सरकार भी इसी दिशा में कई स्वास्थ्य संबंधित योजनाओं को क्रियान्वित करती है, जिनमें चिरायु योजना भी शामिल है।
चिरायु योजना: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, छत्तीसगढ़, द्वारा संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (चिरायु योजना) के माध्यम से ऐसे बच्चों और उनके परिवारों की चिंता को दूर करने के लिए नि:शुल्क जांच और पूर्ण उपचार प्रदान किया जा रहा है। चिरायु योजना (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) के माध्यम से प्रदेश के बच्चों को विभिन्न बीमारियों से मुक्ति प्राप्त हो रही है। इस योजना ने अनेक परिवारों की समस्याओं का समाधान किया है और पीड़ित बच्चों को नए जीवन का आदान-प्रदान किया है।
चिरायु योजना का उद्देश्य
प्रदेश में 2014 से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का प्रायोजन हो रहा है। इस योजना का उद्देश्य शून्य से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों में फोर-डी यानी जन्म से होने वाली असामान्यताओं, बीमारियों, विकृतियों, विकासात्मक कमियों, और विकलांगता सहित डिफेक्ट्स की जांच कर त्वरित उपचार प्रदान करना है। इस प्रयास के तहत, 44 प्रकार की बीमारियों की पहचान और जांच बच्चों में की जाती है और उनका उपचार किया जाता है। आवश्यकता पर अधिक स्तर के अस्पतालों में रेफर भी किया जाता है।
चिरायु योजना के अंतर्गत, जन्म से छह सप्ताह तक के नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण डिलीवरी प्वाइंट के कर्मचारियों द्वारा किया जाता है। इसके साथ ही, छह सप्ताह से लेकर छह वर्ष की आयु तक के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण आंगनबाड़ी केंद्रों में और 18 वर्ष की आयु तक के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण शासकीय और अनुदान प्राप्त विद्यालयों में चिरायु दलों द्वारा किया जाता है।
आठ साल के द्रुप निषाद को मिली नई रौशनी
हाल ही में, चिरायु योजना के प्राधिकृत तंत्र से सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के गांव बैगीनडीह के निवासी आठ वर्षीय बालक द्रुप निषाद का सफल उपचार किया गया है। इस प्रशंसायोग्य प्रयास के लिए द्रुप निषाद के परिवारवालों ने मुख्यमंत्री बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंह देव समेत चिरायु दल को हार्दिक आभार व्यक्त किया है। बैगीनडीह ग्राम के निवासी बालक द्रुप निषाद, जिनकी आयु 8 वर्ष है, उन्हें पलकों के पक्षाघात की समस्या थी, जिसे चिकित्सकों की भाषा में ‘प्टोसिस’ कहा जाता है। इसमें पलकें आंशिक या पूरी तरह से आँख को ढंक लेती हैं, जिससे देखने में समस्या होती है, और आंख बंद सा दिखता है, जिसका उपचार ऑफथैलमिक सर्जन द्वारा किया जाता है, जिसमें आंख की पलक को ठीक किया जाता है।
चिरायु योजना: सीएम भूपेश बघेल की अद्वितीय योजना, चिरायु टीम द्वारा संचालित, इस विशेष चिन्हित बच्चे के संपूर्ण उपचार प्रक्रिया के आदान-प्रदान में एक निरंतर सहायक रूप को भाता है। यह योजना इस बच्चे की पहचान, जांच, उपचार, और ऑपरेशन तक के हर कदम में संपर्क बनाए रहकर उसे मार्गदर्शन करती है और उसकी उचित देखभाल सुनिश्चित करती है। उसके इलाज के प्रेरणास्त्रोत और सहायता भी योजना के माध्यम से प्रदान की जाती है। बच्चे का ऑपरेशन ऑफथैलमिक सर्जन द्वारा किया गया, जो पूरी तरह से नि:शुल्क था। अब बच्चा पहले से ही स्वस्थ महसूस कर रहा है। इस योजना के प्रति बच्चे के परिजनों की आभार और प्रशंसा अपनी भारी भावनाओं में व्यक्त की जा रही है, और उन्होंने भूपेश सरकार की इस योजना के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की है।